गुरुवार, 18 दिसंबर 2014

आखिर हमारी हस्ती ही क्या है ? .

क्या आप यकीं करेंगे ... आप और हम मात्र कुछ सेकेंड्स पहले जन्म लिए हैं? हाँ .. इसे समझने के लिए आपको अपनी घडी बदलनी पड़ सकती है.
अगर हम संपूर्ण ब्रह्माण्ड की उम्र की वैज्ञानिक व्याख्या को माने तो यह 13.8 बिलियन साल है और हमारी यह धरती की उर्म कोई 4.54 बिलियन मानेंगे.
इस संख्या को थोड़ा छोटा करें तो, ब्रह्माण्ड 13 महीने पहले पैदा हुआ .. धरती साढ़े चार महीने पहले, हम और आप ३ मिनट पहले और आपकी और हमारी - कहे गए "ज्ञान" की पूरी व्याख्या, समस्त इतिहास और भूगोल, समाजविज्ञानं और फिजिक्स और केमिस्ट्री... मात्र ३ सेकेण्ड पहले की है.
अगर आप पृथ्वी को सौर्यमंडल में देखें .. तो यह कोई फूटबाल जितनी बड़ी है, सूर्य आकाशगंगा के केंद्र से 30 हजार प्रकाश वर्ष दूर, यानी आप 3 लाख कीमी/सेकेण्ड की रफ़्तार पकडें तो यहीं कोई 30 हजार प्रकाश वर्ष लगेंगे उस दुरी को तय करने में, और यह हमारी गैलेक्सी मिल्कीवे (आकाशगंगा) ....की एक छोर से दुसरे छोर की दुरी सौ लाख प्रकाश वर्ष है. इसमें हमारी पृथ्वी एक डॉट भी नहीं.
और ऐसी असंख्य आकाशगंगाएं हमारे ब्रह्माण्ड में हैं. तो कुल मिलाकर हमारा सारा ज्ञान, हमारे सारे सवाल और उपलब्धियां एक धुल से भी छोटे कण पर घटित हो रहीं.
तीसरे उदहारण को लें.. तो एक चींटी हाथी के शरीर पर घूम रही. कुछ दिनों के उपजे उसके समझ में हाथी के रोम उसे पेड़ जैसे नज़र आयेंगे, इसके कान पहाड़ और खाई. अब जरा उस चींटी को ऊपर उठाएं, तो उसे हाथी का शरीर दिखेगा और समझ थोड़ी और बढ़ेगी, थोडा और दूर करें तो हाथी दिखेगा और ... शायद कुछ मीटर की दुरी उसे हाथी का स्वरूप दिखा देगी. तब भी उसने सिर्फ हाथी ही जाना. अब आप स्वयं सोचें ... आप और हम कितना जानते हैं?
कुल मिलाकार आपने कभी भी इन सवालों पर गौर किया हो .. तो आपके अन्दर सनातन सत्य जीवित है, और आप में धर्म जीवित है. आप ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे जो हमारे पृथ्वी पर इस जीवन, जो प्रकृति के साथ जो समन्वय है, उसे किसी भी तरह नुक्सान पहुचाए. तब आप कर्म की उचित परिभाषा को समझते हैं और तब आपके लिए धर्म का महत्व पता चलता है.
हाँ आप और हमसे गलतियां तभी होती हैं जब हम अपने को मृत्यु तक ही देखते हैं, वर्तमान के हानि-लाभ और इन्द्रियों के तुष्टि को सफलता मानते हैं. तो क्या मृत्यु तक ही देखना हमारा दृष्टिदोष नहीं? सब दिखना ही तो सब जानना है. अब यह चींटी पर है ..कि वह हाथी के स्वरूप को देखना चाहती है ... या ..

.. कनिष्क कश्यप की वाल से 

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