मंगलवार, 19 अप्रैल 2016

मुस्लिम जनसंख्या बढ़ने से होने वाले दुष्परिणाम Anil Thakur Vidrohi

मुस्लिम जनसंख्या बढ़ने से होने वाले दुष्परिणाम :-
जमात-ए-इस्लामी के संस्थापक मौलाना मौदूदी कहते हैं कि कुरान के अनुसार विश्व दो भागों में बँटा हुआ है, एक वह जो अल्लाह की तरफ़ हैं और दूसरा वे जो शैतान की तरफ़ हैं। देशो की सीमाओं को देखने का इस्लामिक नज़रिया कहता है कि विश्व में कुल मिलाकर सिर्फ़ दो खेमे हैं, पहला दार-उल-इस्लाम (यानी मुस्लिमों द्वारा शासित) और दार-उल-हर्ब (यानी “नास्तिकों” द्वारा शासित)। उनकी निगाह में नास्तिक का अर्थ है जो अल्लाह को नहीं मानता, क्योंकि विश्व के किसी भी धर्म के भगवानों को वे मान्यता ही नहीं देते हैं।
इसे समझने के लिये हम कई देशों का उदाहरण देखेंगे,आईये देखते हैं कि यह सारा “खेल” कैसे होता है
जब तक मुस्लिमों की जनसंख्या किसी देश/प्रदेश/क्षेत्र में लगभग 2% के आसपास होती है, तब वे एकदम शांतिप्रिय, कानूनपसन्द अल्पसंख्यक बनकर रहते हैं और किसी को विशेष शिकायत का मौका नहीं देते, जैसे –
अमेरिका – मुस्लिम 0.6% ऑस्ट्रेलिया – मुस्लिम 1.5% कनाडा – मुस्लिम 1.9% चीन – मुस्लिम 1.8%
इटली – मुस्लिम 1.5% नॉर्वे – मुस्लिम 1.8%
जब मुस्लिम जनसंख्या 2% से 5% के बीच तक पहुँच जाती है, तब वे अन्य धर्मावलम्बियों में अपना “धर्मप्रचार” शुरु कर देते हैं, जिनमें अक्सर समाज का निचला तबका और अन्य धर्मों से असंतुष्ट हुए लोग होते हैं, जैसे कि –
डेनमार्क – मुस्लिम 2% जर्मनी – मुस्लिम 3.7% ब्रिटेन – मुस्लिम 2.7% स्पेन – मुस्लिम 4%
थाईलैण्ड – मुस्लिम 4.6%
मुस्लिम जनसंख्या के 5% से ऊपर हो जाने पर वे अपने अनुपात के हिसाब से अन्य धर्मावलम्बियों पर दबाव बढ़ाने लगते हैं और अपना “प्रभाव” जमाने की कोशिश करने लगते हैं। उदाहरण के लिये वे सरकारों और शॉपिंग मॉल पर “हलाल” का माँस रखने का दबाव बनाने लगते हैं, वे कहते हैं कि “हलाल” का माँस न खाने से उनकी धार्मिक मान्यतायें प्रभावित होती हैं। इस कदम से कई पश्चिमी देशों में “खाद्य वस्तुओं” के बाजार में मुस्लिमों की तगड़ी पैठ बनी। उन्होंने कई देशों के सुपरमार्केट के मालिकों को दबाव डालकर अपने यहाँ “हलाल” का माँस रखने को बाध्य किया। दुकानदार भी “धंधे” को देखते हुए उनका कहा मान लेता है (अधिक जनसंख्या होने का “फ़ैक्टर” यहाँ से मजबूत होना शुरु हो जाता है), ऐसा जिन देशों में हो चुका वह हैं –
फ़्रांस – मुस्लिम 8% फ़िलीपीन्स – मुस्लिम 6% स्वीडन – मुस्लिम 5.5% स्विटजरलैण्ड – मुस्लिम 5.3% नीडरलैण्ड – मुस्लिम 5.8% त्रिनिदाद और टोबैगो – मुस्लिम 6%
इस बिन्दु पर आकर “मुस्लिम” सरकारों पर यह दबाव बनाने लगते हैं कि उन्हें उनके “क्षेत्रों” में शरीयत कानून (इस्लामिक कानून) के मुताबिक चलने दिया जाये (क्योंकि उनका अन्तिम लक्ष्य तो यही है कि समूचा विश्व “शरीयत” कानून के हिसाब से चले)। जब मुस्लिम जनसंख्या 10% से अधिक हो जाती है तब वे उस देश/प्रदेश/राज्य/क्षेत्र विशेष में कानून-व्यवस्था के लिये परेशानी पैदा करना शुरु कर देते हैं, शिकायतें करना शुरु कर देते हैं, उनकी “आर्थिक परिस्थिति” का रोना लेकर बैठ जाते हैं, छोटी-छोटी बातों को सहिष्णुता से लेने की बजाय दंगे, तोड़फ़ोड़ आदि पर उतर आते हैं, चाहे वह फ़्रांस के दंगे हों, डेनमार्क का कार्टून विवाद हो, या फ़िर एम्स्टर्डम में कारों का जलाना हो, हरेक विवाद को समझबूझ, बातचीत से खत्म करने की बजाय खामख्वाह और गहरा किया जाता है, जैसे कि –
गुयाना – मुस्लिम 10%
भारत – मुस्लिम 15%
इसराइल – मुस्लिम 16%
केन्या – मुस्लिम 11%
रूस – मुस्लिम 15% (चेचन्या – मुस्लिम आबादी 70%)
जब मुस्लिम जनसंख्या 20% से ऊपर हो जाती है तब विभिन्न “सैनिक शाखायें” जेहाद के नारे लगाने लगती हैं, असहिष्णुता और धार्मिक हत्याओं का दौर शुरु हो जाता है, जैसे-
इथियोपिया – मुस्लिम 32.8%
जनसंख्या के 40% के स्तर से ऊपर पहुँच जाने पर बड़ी संख्या में सामूहिक हत्याऐं, आतंकवादी कार्रवाईयाँ आदि चलने लगते हैं, जैसे –
बोस्निया – मुस्लिम 40%
चाड – मुस्लिम 54.2%
लेबनान – मुस्लिम 59%
जब मुस्लिम जनसंख्या 60% से ऊपर हो जाती है तब अन्य धर्मावलंबियों का “जातीय सफ़ाया” शुरु किया जाता है (उदाहरण भारत का कश्मीर), जबरिया मुस्लिम बनाना, अन्य धर्मों के धार्मिक स्थल तोड़ना, जजिया जैसा कोई अन्य कर वसूलना आदि किया जाता है, जैसे –
मलेशिया – मुस्लिम 62%
अल्बानिया – मुस्लिम 70%
सूडान – मुस्लिम 75%
कतर – मुस्लिम 78%
जनसंख्या के 80% से ऊपर हो जाने के बाद तो सत्ता/शासन प्रायोजित जातीय सफ़ाई की जाती है, अन्य धर्मों के अल्पसंख्यकों को उनके मूल नागरिक अधिकारों से भी वंचित कर दिया जाता है, सभी प्रकार के हथकण्डे/हथियार अपनाकर जनसंख्या को 100% तक ले जाने का लक्ष्य रखा जाता है, जैसे –
बांग्लादेश – मुस्लिम 83%
मिस्त्र – मुस्लिम 90%
सीरिया – मुस्लिम 90%
जोर्डन – मुस्लिम 93%
ईराक – मुस्लिम 97%
पाकिस्तान – मुस्लिम 97%
गाज़ा पट्टी – मुस्लिम 98%
ईरान – मुस्लिम 98%
मोरक्को – मुस्लिम 98%
संयुक्त अरब अमीरात – मुस्लिम 96%
बनती कोशिश पूरी 100% जनसंख्या मुस्लिम बन जाने, यानी कि दार-ए-स्सलाम होने की स्थिति में वहाँ सिर्फ़ मदरसे होते हैं और सिर्फ़ कुरान पढ़ाई जाती है और उसे ही अन्तिम सत्य माना जाता है, जैसे –
अफ़गानिस्तान – मुस्लिम 100%
सऊदी अरब – मुस्लिम 100%
सोमालिया – मुस्लिम 100%
यमन – मुस्लिम 100%
आज की स्थिति में मुस्लिमों की जनसंख्या समूचे विश्व की जनसंख्या का 22-24% है, लेकिन ईसाईयों, हिन्दुओं और यहूदियों के मुकाबले उनकी जन्मदर को देखते हुए कहा जा सकता है कि इस शताब्दी के अन्त से पहले ही मुस्लिम जनसंख्या विश्व की 50% हो जायेगी (यदि तब तक धरती बची तो)… भारत में कुल मुस्लिम जनसंख्या 15% के आसपास मानी जाती है, जबकि हकीकत यह है कि उत्तरप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और केरल के कई जिलों में यह आँकड़ा २० से ३०% तक पहुँच चुका है… अब देश में आगे चलकर क्या परिस्थितियाँ बनेंगी यह कोई भी (“सेकुलरों” को छोड़कर) आसानी से सोच-समझ सकता है…
(सभी सन्दर्भ और आँकड़े : डॉ पीटर हैमण्ड की पुस्तक “स्लेवरी, टेररिज़्म एण्ड इस्लाम – द हिस्टोरिकल रूट्स एण्ड कण्टेम्पररी थ्रेट तथा लियोन यूरिस – “द हज”, से साभार)

सोमवार, 18 अप्रैल 2016

‪#‎ख़ान_पठान_पख़्तून_मुसलमान‬ या बुनियादी काफ़िर ? { भाग 1 }सुधीर व्यास

पश्तून, पख़्तून ,पश्ताना या पठान दक्षिण एशिया में बसने वाली एक लोक-जाति है, पठान जाति की जड़े कहाँ थी इस बात का इतिहासकारों को ज्ञान नहीं लेकिन संस्कृत और यूनानी स्रोतों के अनुसार उनके वर्तमान इलाक़ों में कभी पक्ता नामक जाति रहा करती थी जो संभवतः पठानों के पूर्वज रहें हों।
पश्तून क़बीलों और ख़ानदानों का पता लगाने की ऐथनोलॉग विधि सूची द्वारा कोशिश की गई है और अनुमान लगाया जाता है कि विश्व में लगभग 350 से 400 पठान क़बीले और उपक़बीले हैं।
{Ethnologue विश्व की भाषाओँ की एक सूची है जिसका प्रयोग भाषाविज्ञान में अक्सर किया जाता है। इसमें हर भाषा और उपभाषा को अलग तीन अंग्रेज़ी अक्षरों के साथ नामांकित किया गया है। इस नामांकन को "सिल कोड" (SIL code) कहा जाता है। उदाहरण के लिए मानक हिंदी का सिल कोड 'hin', ब्रज भाषा का 'bra', बुंदेली का 'bns' और कश्मीरी का 'kas' है , हर भाषा और उपभाषा का भाषा-परिवार के अनुसार वर्गीकरण करने का प्रयास किया गया है और उसके मातृभाषियों के वासक्षेत्र और संख्या का अनुमान दिया गया है इस सूची का 16 वाँ संस्करण सन् 2009 में छपा और उसमें 7,358 भाषाएँ दर्ज थीं।}
पश्तून इतिहास 5 हज़ार साल से भी पुराना है और यह अलिखित तरिके से पीढ़ी-दर-पीढ़ी चला आ रहा है। पख़्तून लोक-मान्यता के अनुसार यह जाती 'बनी इस्राएल' यानी यहूदी वंश की है, इस कथा के अनुसार पश्चिमी एशिया में असीरियन साम्राज्य के समय पर लगभग 2800 साल पहले बनी इस्राएल के दस कबीलों को देश निकाला दे दिया गया था और यही कबीले पख़्तून हैं, ॠग्वेद के चौथे खंड के 44 वें श्लोक में भी पख़्तूनों का वर्णन 'पक्त्याकय' नाम से मिलता है इसी तरह तीसरे खंड का 91 वाँ श्लोक आफ़रीदी क़बीले का ज़िक्र 'आपर्यतय' (??) के नाम से करता है..
क्रमश:

चर्च में फ़ादर के साथ क्रिश्चियनिटी और हिंदुत्व पर धार्मिक बहसःAshok Sharma

चर्च में फ़ादर के साथ क्रिश्चियनिटी और हिंदुत्व पर धार्मिक बहसः
क्रिश्चियनिटी के गाल पर हिंदुत्व का थपेड़ा
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अभी कुछ महीने पहले ही नई यूनिट में ट्रान्सफर आया हूँ चूँकि पिछली यूनिट में कई लोगों ने मेरी छवि एक सांप्रदायिक कट्टर हिन्दू की बना दी थी और कुछ लोगों ने मुझे इस्लाम और क्रिश्चियनिटी विरोधी बता दिया था,
सो इस यूनिट में मैं काफ़ी शाँत रहता था किसी भी धर्म पर मैं कोई भी बात नही करता था।
मेरे साथ एक सीनियर हैं जो 4 साल पहले हिंदू से क्रिस्चियन में कन्वर्ट हुए हैं, वो दिन रात क्रिश्चियनिटी की प्रशंसा करते रहते और हिंदुत्व को गालियाँ देते रहते थे, चूँकि उन्हें मेरे बारे में कोई जानकारी नही थी और नाही उन्होंने मेरी हिस्ट्री पढ़ी थी।
सो कल रविवार को बातों हिं बातों में उन्होंने मुझे क्रिश्चियनिटी में कन्वर्ट होने का ऑफ़र दे दिया और क्रिश्चियनिटी के फ़ायदे बताने लगे।
मैं कई दिनों से ऐसे मौके की तलाश में था क्योंकि मेरे दिमाग में क्रिस्चियन कन्वर्शन वाले मुद्दे को लेकर बड़ा फ़ितूर चल रहा था, मैं उसके ज्ञान का लेवल जानता था मैं जानता था की उसे क्रिश्चियनिटी और बाइबिल में कुछ भी नही आता है इसलिए मैंने उससे बहस करना जायज़ नही समझा। मैं बाइबिल को लेकर बड़े क्रिस्चियन फादर से बहस करना चाहता था सो मैंने उनका ऑफ़र स्वीकार कर लिया।
कल शाम को मैं अपने आठ जूनियर और उस सीनियर के साथ चर्च पहुँच गया, वहाँ कुछ परिवार भी हिन्दू से क्रिस्चियन कन्वर्शन के लिए आये हुए थे, और धर्म परिवर्तन कराने के लिए गोआ के किसी चर्च के फादर बुलाये गए थे। चर्च में प्रेयर हुई फिर उन्होंने क्रिश्चियनिटी और परमेश्वर पर लेक्चर दिया और होली वाटर के साथ धर्मान्तरण की प्रोसेस शुरू की।
मैंने अपने सीनियर से कहा की वो फ़ादर से रिक्वेस्ट करें की सबसे पहले मुझे कन्वर्ट करें।
फिर फ़ादर ने मुझे बुलाया और बोला " जीसस ने अशोक को अपनी शरण में बुलाया है मैं अशोक का क्रिश्चियनिटी में स्वागत करता हूँ"
मैंने फ़ादर से कहा की मुझे कन्वर्ट करने से पहले क्रिस्चियन और हिन्दू को कम्पेयर करते हुए उसके मेरिट और डिमेरित बताएँ। मैं कन्वर्ट होने से पहले बाइबिल पर आपके साथ चर्चा करना चाहता हूँ कृपिया मुझे आधा घण्टे का समय दें और मेरे कुछ प्रश्नों का उत्तर दें।
फ़ादर को मेरे बारे में कोई जानकारी नही थी और उन्हें अंदाजा भी नही था की मैं यहाँ अपना लक्ष्य पूरा करने आया हूँ और उन्हें पता ही नही था की मैं अपना काम अपने प्लान के मुताबिक़ कर रहा हूँ।
उस फ़ादर को इस बात का अंदेशा भी नही था की आज वो कितनी बड़ी आफ़त में फ़ंसने वाले हैं, सो फ़ादर बाइबिल पर चर्चा करने के लिए तैयार हो गए ।
【मैंने पूछा फ़ादर " क्रिश्चियनिटी हिन्दूत्व से किस तरह बेहतर है, परमेश्वर और बाइबिल में से कौन सत्य है,अगर बाइबिल और यीशु में से एक चुनना हो तो किसको चुनें"】
अब फ़ादर ने क्रिश्चियनिटी की प्रसंशा और हिंदुत्व की बुराइयाँ करनी शुरू की और कहा
1.यीशु ही एक मात्र परमेश्वर है और होली बाइबिल ही दुनियाँ में मात्र एक पवित्र क़िताब है। बाइबिल में लिखा एक एक वाक्य सत्य है वह परमेश्वर का आदेश है।
परमेश्वर ने ही पृथ्वी बनाई है।
2.क्रिश्चियनिटी में ज्ञान है जबकि हिन्दुओँ की किताबों में केवल अंध विश्वास है।
3.क्रिश्चियनिटी में समानता है जातिगत भेदभाव नही है जबकि हिंदुओं में जातिप्रथा है।
4.क्रिश्चियनिटी में महिलाओं को पुरुषों के बराबर सम्मान हैं जबकि हिन्दुओँ में लेडिज़ का रेस्पेक्ट नही है , हिन्दू धर्म में लेडिज़ के साथ सेक्सुअल हरासमेंट ज़्यादा है।
5.क्रिस्चियन कभी भी किसी को धर्म के नाम पर नही मारते जबकि हिन्दू धर्म के नाम् पर लोगों को मारते हैं बलात्कार करते हैं हिन्दू बहुत अत्याचारी होते हैं।
6.हिंदुओ में नंगे बाबा घूमते हैं सबसे बेशर्म धर्म है हिन्दू।
अब मैंने बोलना शुरू किया की फ़ादर मैं आपको बताना चाहता हूँ की
1. जैसा आपने कहा की परमेश्वर ने पृथ्वी बनाई है और बाईबल में एक एक वाक्य सत्य लिखा है और वह पवित्र है,
तो बाईबल के अनुसार पृथ्वी की उत्त्पति ईशा के जन्म से 4004 वर्ष पहले हुई अर्थात बाइबिल के अनुसार अभी तक पृथ्वी की उम्र 6020 वर्ष हुई जबकि साइंस के अनुसार(कॉस्मोलॉजि) पृथ्वी 4.8 बिलियन वर्ष की है जो बाइबिल में बतायी हुई वर्ष के बहुत ज़्यादा है। आप भी जानते हो साइंस ही सत्य है
अर्थात बाइबिल का पहला अध्याय ही बाइबिल को झूँठा घोषित कर रहा है मतलब बाइबिल एक फ़िक्शन बुक है जो मात्र झूँठी कहानियों का संकलन है,
जब बाइबिल ही असत्य है तो आपके परमेश्वर का कोई अस्तित्व ही नही बचता।
2.आपने कहा की क्रिश्चियनिटी में ज्ञान है तो आपको बता दूँ की क्रिश्चियनिटी में ज्ञान नाम का कोई शब्द नही है , याद करो जब "ब्रूनो" ने कहा था की पृथ्वी सूरज की परिक्रमा लगाती है तो चर्च ने ब्रूनो को 'बाइबिल को झूंठा साबित करने के आरोप में जिन्दा जला दिया था और गैलीलियो को इस लिए अँधा कर दिया गया क्योंकि उसने कहा था 'पृथ्वी के आलावा और भी ग्रह हैं' जो बाइबिल के विरुद्ध था ।
अब आता हूँ हिंदुत्व में तो फ़ादर हिंदुत्व के अनुसार पृथ्वी की उम्र ब्रह्मा के एक दिन और एक रात के बराबर है जो लगभग 1.97 बिलियन वर्ष है जो साइंस के बताये हुए समय के बराबर है और साइंस के अनुसार ग्रह नक्षत्र तारे और उनका परिभ्रमण हिन्दुओँ के ज्योतिष विज्ञानं पर आधारित है , हिन्दू ग्रंथो के अनुसार 9 ग्रहों की जीवनगाथा वैदिक काल में ही बता दी गयी थी। ऐसे ज्ञान देने वाले संतो को हिन्दुओँ ने भगवान के समान पूजा है नाकि जिन्दा जलाया या अँधा किया।
केवल हिन्दू धर्म ही ऐसा है जो ज्ञान और गुरु को भगवान से भी ज़्यादा पूज्य मानता है जैसे
"गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवोमहेश्वरः
गुरुर्साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्रीगुरूवे नमः।।
और फ़ादर दुनियाँ में केवल हिन्दू ही ऐसा है जो कण कण में ईश्वर देखता है और ख़ुद को "अह्मब्रह्मस्मि" बोल सकता है इतनी आज़ादी केवल हिन्दू धर्म में ही हैं।
3. आपने कहा की 'क्रिश्चियनिटी में समानता है जातिगत भेदभाव नही है तो आपको बता दूँ की
क्रिश्चियनिटी पहली शताब्दी में तीन भागों में बटी हुई थी जैसे Jewish Christianity , Pauline Christianity, Gnostic Christianity.
जो एक दूसरे के घोर विरोधी थे उनके मत भी अलग अलग थे।
फिर क्रिश्चियनिटी Protestant, Catholic Eastern Orthodoxy, Lutherans में विभाजित हुई जो एक दूसरे के दुश्मन थे, जिनमें ' कुछ लोगों को मानना था की "यीशु" फिर जिन्दा हुए थे तो कुछ का मानना है की यीशु फिर जिन्दा नही हुए, और कुछ ईसाई मतों का मानना है की "यीशु को सैलिब पर लटकाया ही नही गया"
आज ईसाईयत हज़ार से ज़्यादा भागों में बटी हुई है, जो पूर्णतः रँग भेद (श्वेत अश्वेत ) और जातिगत आधारित है आज भी पुरे विश्व में कनवर्टेड क्रिस्चियन की सिर्फ़ कनवर्टेड से ही शादी होती है।
आज भी अश्वेत क्रिस्चियन को ग़ुलाम समझा जाता है।
फ़ादर भेदभाव में ईसाई सबसे आगे हैं हैम के वँशज के नाम पर अश्वेतों को ग़ुलाम बना रखा है।
4. आपने कहा की क्रिश्चियनिटी में महिलाओं को पुरुष के बराबर अधिकार है, तो बाईबल के प्रथम अध्याय में एक ही अपराध के लिये परमेश्वर ने ईव को आदम से ज्यादा दण्ड क्यों दिया, ईव के पेट को दर्द और बच्चे जनने का श्राप क्यों दिया आदम को ये दर्द क्यों नही दिया अर्थात आपका परमेश्वर भी महिलाओं को पुरुषों के समान नही समझता।
आपके ही बाइबिल में "लूत" ने अपनी ही दोनों बेटियों का बलात्कार किया और इब्राहीम ने अपनी पत्नी को अपनी बहन बनाकर मिस्र के फिरौन (राजा) को सैक्स के लिए दिया।
आपकी ही क्रिश्चियनिटी ने पोप के कहने पर अब तक 50 लाख से ज़्यादा बेक़सूर महिलाओं को जिन्दा जला दिया। ये सारी रिपोर्ट आपकी ही बीबीसी न्यूज़ में दी हुईं हैं।
आपकी ही ईसाईयत में 17वीं शताब्दी तक महिलाओं को चर्च में बोलने का अधिकार नही था, महिलाओं की जगह प्रेयर गाने के लिए भी 15 साल से छोटे लड़को को नपुंसक बना दिया जाता था उनके अंडकोष निकाल दिए जाते थे महिलाओं की जगह उन बच्चों से प्रेयर करायी जाती थी।
बीबीसी के सर्वे के अनुसार सभी धर्मों के धार्मिक गुरुवों में सेक्सुअल केस में सबसे ज़्यादा "पोप और नन" ही एड्स से मरे हैं जो ईसाई ही हैं।
फ़ादर क्या यही क्रिश्चियनिटी में नारी सम्मान है।
अब आपको हिंदुत्व में बताऊँ। दुनियाँ में केवल हिन्दू ही है जो कहता है " यत्र नारियन्ति पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता" अर्थात जहाँ नारी की पूजा होती है वहीँ देवताओं का निवास होता है,।
5. फ़ादर आपने कहा की क्रिस्चियन धर्म के नाम पर किसी को नही मारते तो आपको बता दूँ 'एक लड़का हिटलर जो कैथोलिक परिवार में जन्मा उसने जीवनभर चर्च को फॉलो किया उसने अपनी आत्मकथा "MEIN KAMPF" में लिखा ' वो परमेश्वर को मानता है और परमेश्वर के आदेश से ही उसने 10 लाख यहूदियों को मारा है' हिटलर ने हर बार कहा की वो क्रिस्चियन है। चूँकि हिटलर द्वितीय विश्वयुद्ध का कारण था जिसमें सारे ईसाई देश एक दूसरे के विरुद्ध थे इसलिए आपके चर्च और पादरियों ने उसे कैथोलिक से निकाल कर Atheist(नास्तिक) में डाल दिया।
फ़ादर मैं इस्लाम का हितेषी नही हूँ लेकिन आपको बता दूँ क्रिस्चियनों ने सन् 1096 में ने "Crusade War" धर्म के आधार पर ही स्टार्ट किया था जिसमें पहला हमला क्रिस्चियन समुदाय ने मुसलमानों पर किया।
जिसमें लाखों मासूम मारे गए।
फ़ादर "आयरिश आर्मी" का इतिहास पढ़ो किस तरह कैथोलिकों ने धर्म के नाम पर क़त्ले आम किया जो आज के isis से भी ज़्यादा भयानक था।
धर्म के नाम पर क़त्लेआम करने में क्रिस्चियन मुसलमानों के समान ही हैं, वहीँ आपने हिन्दुओँ को बदनाम किया तो आपको बता दूँ की "हिन्दू ने कभी भी दूसरे धर्म वालों को मारने के लिए पहले हथियार नही उठाया है, बल्कि अपनी रक्षा के लिए हथियार उठाया है।
6. फ़ादर आपने कहा की हिन्दुओँ में नंगे बाबा घूमते हैं "हिन्दू बेशर्म" हैं तो फ़ादर आपको याद दिला दूँ की बाइबिल के अनुसार यीशु ने प्रकाशितवाक्य (Revelation) में कहा है की " nudity is best purity" नग्नता सबसे शुद्ध है।
यीशु कहता है की मेरे प्रेरितों अगर मुझसे मिलना है तो एक छोटे बच्चे की तरह नग्न हो कर मुझसे मिलों क्योंकि नग्नता में कोई लालच नही होता।
फ़ादर याद करो यूहन्ना का वचन 20:11-25 और लूका के वचन 24:13-43 क्या कहते नग्नता के बारे में।
फ़ादर ईसाईयत में सबसे बड़ी प्रथा Bapistism है, जो बाइबिल के अनुसार येरूसलम की यरदन नदी में नग्न होकर ली जाती थी।
अभी इस वर्ष फ़रवरी में ही न्यूजीलैंड के 1800 लोगों ने जिसमे 1000 महिलाएं थी ने पूर्णतः नग्न होकर बपिस्टिसम लिया। और आप कहते हो की हिन्दू बेशर्म है।
अब चर्च के सभी लोग मुझ पर भड़क चुके थे और ग़ुस्से में कह रहे थे आप यहाँ क्रिश्चियनिटी में कन्वर्ट होने नही आये हो आप फ़ादर से बहसः करने आये हो, परमेश्वर आपको माँफ नही करेगा।
मैंने फ़ादर से कहा की यीशु ने कहा है " मेरे प्रेरितों मेरा प्रचार प्रसार करो" अब जब आप यीशु का प्रचार करोगे तो आपसे प्रश्न भी पूछे जाएँगे आपको ज़बाब देना होगा, मैं यीशु के सामने बैठा हुआ हूँ और वालंटियर क्रिस्चियन बनने आया हूँ ।
मुझे आप सिर्फ़ ज्ञान के सामर्थ्य पर क्रिस्चियन बना सकते है धन के लालच में नही।
अब फ़ादर ख़ामोश बैठा हुआ था शायद सोच रहा होगा की आज किस से पाला पड़ गया।
मैंने फिर कहा फ़ादर आप यीशु के साथ गद्दारी नही कर सकते " आप यहाँ सिद्ध करके दिखाओ की ईसाईयत हिंदुत्व से बेहतर कैसे है"
मैंने फिर फ़ादर से कहा की फ़ादर ज़वाब दो आज आपसे ही ज़वाब चाहिए क्योंकि आपके ये 30 ईसाई इतने सामर्थ्यवान नही है की ये हिन्दू के प्रश्नों का ज़वाब दे सकें।
फ़ादर अभी भी शाँत था, मैंने कहा फ़ादर अभी तो मैंने शास्त्र खोले भी नही है शास्त्रों के ज्ञान के सामने आपकी बाइबिल कहीं टिकती भी नही है।
अब फ़ादर ने काफ़ी सोच समझकर रविश स्टाइल में मुझसे पूछा 'आप किस जाति से हो'
मैंने भी चाणक्य स्टाइल में ज़वाब दे दिया ,
"मैं सेवार्थ शुद्र, आर्थिक वैश्य, रक्षण में क्षत्रिय, और ज्ञान में ब्राह्मण हूँ।
और हाँ फ़ादर मैं कर्मणा "फ़ौजी" हूँ और जाति से "हिन्दू"
अब चर्च में बहुत शोर हो चूका था मेरे जूनियर बहुत खुश थे बाकि सभी ईसाई मुझ पर नाराज़ थे, लेकिन करते भी क्या मैने उनकी ही हर बात को काटने के लिए बाइबिल को आधार बना रखा था और हर बात पर बाइबिल को ही ख़ारिज कर रहा था।
मैंने फ़ादर से कहा मेरे ऊपर ये जाति वाला मन्त्र ना फूँके, आप सिर्फ़ मेरे सवालों का ज़वाब दें।
अब मैंने उन परिवारों को जो कन्वर्ट होने के लिए आये थे को कहा " क्या आप लोगों को पता है की वेटिकन सिटी एक हिन्दू से क्रिस्चियन कन्वर्ट करने के लिए मिनिमम 2 लाख रुपये देती है जिसमें से आपको 1लाख या 50 हज़ार दिया जाता है बाकि में 20 से 30 हज़ार तक आपको कन्वर्ट करने के लिए चर्च लेकर आने वाले आदमी को दिया जाता है बाकि का 1 लाख चर्च रखता है।
जब आप कन्वर्ट हो जाते हो तब आपको परमेश्वर के नाम से डराया जाता है फिर आपको हर सन्डे चर्च आना पड़ता है और हर महीने अपनी पॉकेट मनी या फिक्स डिपाजिट चर्च को डिपॉजिट करना पड़ता है, आपको 1 लाख देकर चर्च आपसे कम से कम दस लाख वसूल करता है, अगर आपके पास पैसा नही होता तो आपको परमेश्वर के नाम से डराकर आपकी जमीन किसी क्रिस्चियन ट्रस्ट के नाम पर डोनेट(दान) करा ली जाती है,
अब आप मेरे सीनियर को ही देख लो, इन्होंने कन्वर्ट होने के लिए 1 लाख लिया था लेकिन 4 साल से हर महीने 15 हज़ार चर्च को डिपाजिट कर रहे हैं, अभी भी वक्त है सोच लो।
आप सभी को बता दूँ की एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार भारत में धार्मिक आधार पर सबसे ज़्यादा जमीन क्रिस्चियन ट्रस्टों पर हैं, जिन्हें आप जैसे मासूम कन्वर्ट होने वालो से परमेश्वर के नाम पर डरा कर हड़प लिया गया है।
अब मेरा इतना कहते ही सारे क्रिस्चियन भड़क चुके थे तभी यहाँ के पादरी ने गोआ वाले फ़ादर से कहा की 11बज चुके हैं चर्च को बन्द करने का टाइम है।
मैंने फ़ादर से कहा की आपने मेरे सवालों का ज़वाब नही दिया मैं आपसे बाइबिल पर चर्चा करने आया था,
आप जो पैसे लेकर कन्वर्ट करते हो वो बाईबल में सख्त मना है याद करो गेहजी, यहूदा इस्तविको का हस्र जिसनें धर्म में लालच किया। जिस तरह परमेश्वर ने उन्हें मारा ठीक उसी तरह आपका ही परमेश्वर आपको मारेगा , आप में से किसी भी क्रिस्चियन को जो पैसे लेकर कन्वर्ट हुआ फ़िरदौस ( यीशु का राज्य) में प्रवेश नही मिलेगा।
अब चर्च बंद होने का समय हो चूका था मैंने जाते जाते फ़ादर को "थ्री इडियट" स्टाइल में कहा " फ़ादर फिर से बाईबल पढ़ो समझों, और जहाँ समझ ना आये तो मुझे फ़ोन करके पूछ लेना क्योंकि मैं अपने कमज़ोर स्टूडेंट का हाथ कभी नही छोड़ता,
और आते आते मैं सारे क्रिस्चियनों को बोल आया की "मेरे क्रिस्चियन भाइयों अपने वेटिकन वाले चचाओं को बता दो की भारत से ईसाईयत का बोरी बिस्तर उठाने का समय आ गया है उन्हें बोल दो अब भारत में हिन्दू जाग चूका है अब हिन्दू ने भी शस्त्र के साथ शास्त्र उठा लिया है जितना जल्दी हो यहाँ से कट लो"
जय हिन्द जय भारत
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धन्यवाद

रविवार, 27 मार्च 2016

पशे आईना कुछ और है ... तुफ़ैल चतुर्वेदी

बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स पर आतंकी हमला दो दिन से चर्चा में है। ज़ाहिर है ये हमला कुछ सरफिरे लोगों ने किया है. जिन्हें मुसलमान इसलिये बिलकुल भी नहीं माना जाना चाहिए चूँकि उन्होंने इस्लाम की ग़लत व्याख्या की है और जान दे कर जान लेने पर उतारू हो गए हैं। देवबंदी, वहाबी, बरेलवी विद्वानों के साथ ही अमरीका के राष्ट्रपति ओबामा जिनका पूरा नाम बराक हुसैन ओबामा है के अनुसार ये नासमझ लोग हैं। इस्लाम की मनमानी व्याख्या करते हैं। इन्हें इस्लाम की सही जानकारी नहीं है। मेरे मुंह में ख़ाक, साहब जी , मैं आपकी बातें मान लेता मगर जान देना तो बहुत बड़ी बात है। कोई पागल पागलपन में अपनी जान दे तो अधिकतम उसका निजी जीवन, उसके आश्रितों का जीवन, उसके मित्रों-सम्बन्धियों का जीवन आहत होता है। ये लोग पागलपन में अपनी जान नहीं दे रहे, ये अपनी जान दे कर अपने से पचासों गुना लोगों की जानें ले रहे हैं। ये तो अपना जीवन होम कर हज़ारों गुना अधिक लोगों में आतंक फैला रहे हैं। फिर भी ज़िद है कि उन्हें क़ुरआन के इन आदेशों की जानकारी नहीं है।
ओ मुसलमानों तुम गैर मुसलमानों से लड़ो. तुममें उन्हें सख्ती मिलनी चाहिये { 9-123 }
और तुम उनको जहां पाओ कत्ल करो { 2-191 }
काफिरों से तब तक लड़ते रहो जब तक दीन पूरे का पूरा अल्लाह के लिये न हो जाये { 8-39 }
ऐ नबी ! काफिरों के साथ जिहाद करो और उन पर सख्ती करो. उनका ठिकाना जहन्नुम है { 9-73 और 66-9 }
अल्लाह ने काफिरों के रहने के लिये नर्क की आग तय कर रखी है { 9-68 }
उनसे लड़ो जो न अल्लाह पर ईमान लाते हैं, न आखिरत पर; जो उसे हराम नहीं जानते जिसे अल्लाह ने अपने नबी के द्वारा हराम ठहराया है. उनसे तब तक जंग करो जब तक कि वे जलील हो कर जजिया न देने लगें { 9-29 }
तुम मनुष्य जाति में सबसे अच्छे समुदाय हो, और तुम्हें सबको सही राह पर लाने और गलत को रोकने के काम पर नियुक्त किया गया है { 3-110 }
जो कोई अल्लाह के साथ किसी को शरीक करेगा, उसके लिये ने जन्नत हराम कर दी है. उसका ठिकाना जहन्नुम है { 5-72 }
मुझे लोगों के खिलाफ तब तक लड़ते रहने का आदेश मिला है, जब तक ये गवाही न दें कि अल्लाह के सिवा कोई दूसरा काबिले-इबादत नहीं है और मुहम्मद अल्लाह का रसूल है और जब तक वे नमाज न अपनायें और जकात न अदा करें [ सहीह मुस्लिम, हदीस संख्या 33 }
मैं मान लेता हूँ कि उन्होंने क़ुरआन, हदीस, क़ुरआन की सच्ची व्याख्याएं नहीं पढ़ी होंगी। ऐसी ही बातें अभी तीन दिन पहले दिल्ली में हुए सूफ़ी सम्मेलन में गरजने-बरसने वाले आलिमों ख़ासकर पाकिस्तान के ताहिर उल क़ादिरी ने भी कीं। लेकिन क्या किया जाये कि इसी ताहिर उल क़ादिरी के यू ट्यूब पर वीडिओ उपलब्ध हैं जिसमें ये हदीसें पढ़-पढ़ कर सुना रहा है और ग़ज़वा-ए-हिन्द { भारत पर भविष्य में होने वाले इस्लामी हमले } के बारे में विस्तृत विवरण दे रहा है। जिसमें इसके अनुसार एक फ़ौज सिंध { इसके अनुसार ही वर्तमान पाकिस्तान } तथा हिन्द पर चढ़ाई करेगी और दूसरी चीन पर चढ़ाई करेगी। हदीस ज़ाहिर है इस्लाम के पैग़ंबर मुहम्मद जी का कहा-किया-बताया-सुनाया गया जीवन है। मुसलमानों के अनुसार ये अक्षरशः सत्य है और इसके सच न होने की कोई सम्भावना नहीं है यानी सिंध { इसके अनुसार वर्तमान पाकिस्तान } तथा हिन्द पर मुसलमानों का लश्कर चढ़ाई करेगा ही करेगा।
मेरे मन को इसकी बातों से आशा की किरण बल्कि सूर्य का प्रकाश दिखाई दे रहा है। साहब जी, सिंध तो पाकिस्तान का हिस्सा है यानी दारुल-इस्लाम है। मोमिनों की ममलकत है। उस पर मुसलमानों के लश्कर की चढ़ाई का क्या मतलब ? साहब जी इसका एक ही मतलब है भारत अखण्ड होगा। पाकिस्तान वापस भारत में मिल जायेगा। अटक से कटक तक फिर से भगवा ध्वज लहराएगा। इसी स्थिति में मुसलमानों के लश्कर की सिंध और हिन्द पर चढ़ाई का औचित्य है। अतः भारत को इस्लाम के पैग़ंबर मुहम्मद जी की भविष्वाणी पूरी करने के लिये प्राणप्रण से पाकिस्तान के टुकड़े करने में लग जाना चाहिये। पंजाब, सिंध, बलोचिस्तान, पख़्तूनख़्वा, बाल्टिस्तान जैसे अनेकों टुकड़े कीजिये। एक-एक हिस्सा वापस झपटिये। सारे मुसलमानों को वापस राष्ट्रीय धारा में लाइये। उनकी शुद्धि कीजिये। इसके बाद देखेंगे कि किसकी मां ने सवा सेर सौंठ खा कर औलादें पैदा की हैं ? सबसे पहले इनसे निबटेंगे और फिर वृहत्तर भारत की शुद्धि करेंगे। इसकी भविष्यवाणी महर्षि अरविन्द पूज्य स्वतंत्र वीर सावरकर, रमण महर्षि जैसे अनेकों महापुरुषों ने की हैं। सारे विश्व को आतंकवाद के ख़िलाफ़ एक कीजिये और अहर्निश इस काम में लग जाइये। भारत और पाकिस्तान के मुसलमानों को भी पाकिस्तान के टुकड़े कर उसको भारत में मिलाने के काम में लगना चाहिए आख़िर ये मुहम्मद जी कहा हुआ है
साभार- तुफ़ैल चतुर्वेदी जी की वाल  से https://www.facebook.com/tufail.chaturvedi?fref=ts

सोमवार, 23 फ़रवरी 2015

भगवान शंकर या पैगंबर ??

भगवान ‪#‎शंकर‬ को मुसलमानों का पहला ‪#‎पैगंबर‬ बताने वाले 'जमीयत उलेमा' के मुफ्ती 'मोहम्मद इलियास' ने हम हिंदुओं के साथ वही पुराना कुटिल चाल का सहारा लिया, जो वे यहूदी, बौद्ध और इसाइयों के साथ कर चुके हैं ।
भगवान शिव कोई पैगंबर नहीं साक्षात परमपिता परमेश्वर हैं, हर धर्म मे उनही को सर्वोच्च ईश्वर का स्थान दिया गया है । कुछ तथ्य देखिये और जानिये इस्लाम मे जिस ‪#‎अल्लाह‬की पुजा की जाती है, वो कोई और नहीं "भगवान शिव" ही हैं। जिसे मानने से इस्लाम आजतक इंकार करता रहा है ।
पहले बात करते हैं :- अरब की प्राचीन ‪#‎वैदिक‬ संस्कृति की :-
लगभग 1400 साल पहले अरब में ‪#‎इस्लाम‬ का प्रादुर्भाव हुआ, इससे पहले अरब के निवासी अपने पिछले 4000 साल के इतिहास को भूल चुके हैं, और इस्लाम में इस काल को "जिहालिया" कहा गया है । जिसका अर्थ है, 'अन्धकार का युग' । परन्तु ये जिहालिया का युग ‪#‎मुहम्मद‬ के अनुयाइयो द्वारा फैलाया झूठ है, इस्लाम से पहले वहां पर वैदिक‪#‎सनातन‬ संस्कृति थी, हमारे विभाग ने इस पर एक नहीं हजारो प्रमाण इकट्ठे कर लिए है । अरब के "वैदिक संस्कृति" को नष्ट करने के लिए मुहम्मद के कहने पर वहां के सभी पुस्तकालय, देवालय, विद्यालय जला दिए गए थे, पर कई सबूत आज भी यथावत है ।
* "काबा" साक्षात भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग :-
632 ईo के बाद यहाँ पर पैगम्बर मुहम्मद के रूप में इस्लाम की स्थापना हुई, इस्लाम की स्थापना के बाद अरब में व्यापक स्तर पर हिन्दुओ का नरसंहार हुआ । काबा में स्थित सभी मूर्तियों को मुहम्मद द्वारा तोड़ दिया गया, परन्तु इसके उपरान्त भी मुहम्मद ने काबा में "हजरे-असवद" नाम के एक काले पत्थर को वहां पर रहने दिया और आज हर‪#‎मुसलमान‬ हज के समय उसके दर्शन अवश्य करता है । असल में हजरे अस्वाद का हजरे "हजर" शब्द से बना है, जो की हर का अपभ्रंश है, हर का अर्थ संस्कृत में ‪#‎शिव‬ होता है और अस्वाद "अश्वेत" का ही अपभ्रंश है ।
* इस्लाम मे पुजा जाने वाला दूसरा ‪#‎ShivLing‬ :-
जिस जमजम के कुएं की ये बात करते है, एक शिवलिंग उसमे भी है । जिसकी पूजा खजूर के पत्तो से होती है । इस प्रकार मक्का में एक नहीं, दो शिवलिंग है । फोटो पोस्ट के साथ अटेचैड है ।
* हज के दौरान वैदिक पुजा पद्धति:-
मक्का में काबा में ‪#‎मुस्लिम‬ दाढ़ी साफ कर, बिना सिले २ कपडे लेते है । एक पहन कर और दूसरा कंधे पर डाल कर काबा की घडी की उलटी दिशा में 7 परिक्रमा करते है, जो की पूर्णतः ‪#‎हिन्दू‬ धर्म से लिया गया संस्कार है । अब चूँकि मुहम्मद ने भविष्यपुराण के अनुसार पैशाचिक धर्म की स्थापना की थी, इसलिए नकारात्मक ऊर्जा को मुसलमानों में निरंतर भरे रखने के लिए वहां पर उलटी परिक्रमा का रिवाज रखा गया । फोटो पोस्ट के साथ अटेचैड है ।
* भगवान भोले #शंकर के अर्धचंद्र :-
ठीक इसी प्रकार इस्लाम का अर्धचन्द्र सनातन संस्कृति से लिया गया है, भगवान् शंकर की पूजा करने वाले अरब वासियों ने भगवान् शिव के मस्तक पर स्थित अर्धचन्द्र को इस्लाम में स्थान दिया, चुकी देखने वाले बात ये है की इस्लामिक शहादा के झंडे में और मुहम्मद के मक्का फतह के समय वाले झंडे में ऐसा कुछ नहीं है, ये केवल अन्य गैर अरबी देशो में है जो बाद में इस्लामिक देश बन गये ।
* इस्लाम का "एकीश्वर का सिद्धांत" भी सनातन धर्म से लिया गया है :-
‪#‎Sanatan‬ धर्म मे जहाँ पर देवी ‪#‎देवता‬ और अवतार बहुत है पर इश्वर एक ही है, ॐ शिव, क्यूंकि शिव ही अजन्मा है, ठीक उसी प्रकार इस्लाम मे उसे ‪#‎Allah‬ का नाम दिया गया और उस ज्योति स्वरूप परमात्मा के प्रतिरूप ‪#‎शिवलिंग‬ की ही पुजा की जाती है ।
* काबा का अष्टकोणीय वास्तु :-
जब मुहम्मद ने काबा और मक्का के पास स्थिति सभी सनातनी प्रमाणों को नष्ट कर दिया तब उसके बाद उसका पश्चाताप करने के लिए मुहम्मद ने विधिवत सनातन विधि से काबा में मंदिर की स्थापना की, इसका एक प्रमाण है काबा का अष्टकोणीय वास्तु, इसमें एक चतुर्भुज के ऊपर दूसरा चतुर्भुज टेढ़ा करके मंदिर स्थापना होती है और प्रत्येक सनातन मंदिर में यही विधान है । फोटो पोस्ट के साथ अटेचैड है ।
इन तथ्यों के अलावा कई और सबूत देखिये :-
1) अरब में मिला एक पुराना दीपक - http://bit.ly/1Le1fQV
2) अरब में मिली सरस्वती माता की प्रतिमा :- http://bit.ly/1DuxD2H
3) भविष्य-पुराण मे ‪#‎Muhammad‬ का बर्णन :- http://bit.ly/19BeEqF
http://en.wikipedia.org/wiki/Bhavishya_Purana
4) मुस्लिम रिसर्चर का विडियो लेक्चर :- http://bit.ly/17h8lqM
5) हिन्दू धर्म गुरु के बयान :- http://bit.ly/1JravFV
अत: इस्लाम के #अल्लाह कोई और नहीं अपने भोले भंडारी देवाधिदेव ‪#‎महादेव‬ ही हैं ।
सभी ‪#‎Hindu‬ और ‪#‎Muslim‬ ज़ोर से जयकारा लगाएँ ....
हर हर महादेव