पश्तून, पख़्तून ,पश्ताना या पठान दक्षिण एशिया में बसने वाली एक लोक-जाति है, पठान जाति की जड़े कहाँ थी इस बात का इतिहासकारों को ज्ञान नहीं लेकिन संस्कृत और यूनानी स्रोतों के अनुसार उनके वर्तमान इलाक़ों में कभी पक्ता नामक जाति रहा करती थी जो संभवतः पठानों के पूर्वज रहें हों।
पश्तून क़बीलों और ख़ानदानों का पता लगाने की ऐथनोलॉग विधि सूची द्वारा कोशिश की गई है और अनुमान लगाया जाता है कि विश्व में लगभग 350 से 400 पठान क़बीले और उपक़बीले हैं।
{Ethnologue विश्व की भाषाओँ की एक सूची है जिसका प्रयोग भाषाविज्ञान में अक्सर किया जाता है। इसमें हर भाषा और उपभाषा को अलग तीन अंग्रेज़ी अक्षरों के साथ नामांकित किया गया है। इस नामांकन को "सिल कोड" (SIL code) कहा जाता है। उदाहरण के लिए मानक हिंदी का सिल कोड 'hin', ब्रज भाषा का 'bra', बुंदेली का 'bns' और कश्मीरी का 'kas' है , हर भाषा और उपभाषा का भाषा-परिवार के अनुसार वर्गीकरण करने का प्रयास किया गया है और उसके मातृभाषियों के वासक्षेत्र और संख्या का अनुमान दिया गया है इस सूची का 16 वाँ संस्करण सन् 2009 में छपा और उसमें 7,358 भाषाएँ दर्ज थीं।}
पश्तून इतिहास 5 हज़ार साल से भी पुराना है और यह अलिखित तरिके से पीढ़ी-दर-पीढ़ी चला आ रहा है। पख़्तून लोक-मान्यता के अनुसार यह जाती 'बनी इस्राएल' यानी यहूदी वंश की है, इस कथा के अनुसार पश्चिमी एशिया में असीरियन साम्राज्य के समय पर लगभग 2800 साल पहले बनी इस्राएल के दस कबीलों को देश निकाला दे दिया गया था और यही कबीले पख़्तून हैं, ॠग्वेद के चौथे खंड के 44 वें श्लोक में भी पख़्तूनों का वर्णन 'पक्त्याकय' नाम से मिलता है इसी तरह तीसरे खंड का 91 वाँ श्लोक आफ़रीदी क़बीले का ज़िक्र 'आपर्यतय' (??) के नाम से करता है..
क्रमश:
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