मंगलवार, 8 जुलाई 2014

विरोधाभास ! .... राजीव चतुर्वेदी

"तजा शोध से पता चला है कि चूहे को कितना भी च्यवनप्राश खिल दो वह चन्दगीराम (विख्यात पहलवान) से नहीं लड़ सकता ... हिटलर ने कभी बोर्नबीटा नहीं पी ... नेपोलियन ने कभी कम्प्लान नहीं पी ...सद्दाम हुसैन ने स्प्राईट नहीं पी ...हनुमान चालीसा पढने वाली कौमें दो हजार साल तक गुलाम रहीं ...राहुल गांधी की जोन्सन बेबी ऑइल से बचपन में मुस्तैदी से मालिस की गयी... महज चार बीबियों और बारह घोषित बच्चों के बाप कालीम मियाँ ने माल्थूजियन थ्योरी ऑफ पोपुलेशन पर कभी शोध या प्रतिशोध नहीं किया था और वात्सायन से उनकी रंजिश थी ... भारतीय ऋषि मुनि मृगछाला पर बैठ कर अहिंसा की डकार लेते थे ...अश्पृश्यता फैलाने वाले पंडित जी मधुमक्खी की उल्टी को शहद कह कर अक्सर चाटते थे ...प्रिंस ऑफ वेल्स की चिमनी में कूद कर हराकेरी करने वाले जापानियों ने "नैनम छिद्राणि पश्यन्तु नयनम जलति पावकः" पढ़ा भी नहीं था ...कर्मवती को कोई भारतीय समकालीन क्षत्रीय इस काबिल नहीं लगा की वह राखी की लाज रख ले सो उसने बाबर को राखी भेजी थी ... अनेक बच्चों का पिता होने के लिए किसी कलीम मियाँ की प्रतिभा ही जरूरी नहीं वह धृतराष्ट्र जैसा अँधा भी होना चाहिए ... मुहम्मद साहब को अपनी नाबालिग बेटी सुपुर्द करने वाले लोग उस मजहब के खलीफा कहलाये ...राखी भाई बहनों का नहीं पति पत्नी का त्यौहार था पहली राखी इंद्र ने अपनी असुर पत्नी शचि के बांधी थी ... लोग पड़ोसी की बहू में मीरा की संभावना देखते थे पर अपनी बेटी को मीरा जैसा महान नहीं बनाना चाहते थे ... राखी सावंत की चारित्रिक मान्यताओं को गंगाजल शुद्ध करने में असमर्थ था उसे फिनायल के बाद डिटोल से नहलाने की बहुत जरूरत थी...रंग भेद के विरुद्ध नेल्सन मंडेला और गाँधी से बड़ा काम "फेयर एंड लवली" ने किया था ...लोग अपनी बेटी का नाम 'रति' रखते थे किन्तु उसको रति क्रिया से विरत रहने की सलाह देते थे ...भारत एक महान देश था केवल इस लिए नहीं कि दो हजार साल तक गुलाम रहा था बल्कि इस लिए भी कि हर अतिथि के हम गुलाम बन जाने की प्राकृतिक इच्छा शक्ति रखते थे ... भारत एक महान देश था क्योंकि वास्तविक आध्य्यत्म यहाँ उपेक्षित था और भौतिक द्वन्द्वों के बहिरुत्पाद को यहाँ आध्यात्म कहते थे ।"----- राजीव चतुर्वेदी

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