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कम से कम अब कोई मनमोहन सिंह पर बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का एजेण्ट होने का आरोप नहीं लगा सकता, क्योंकि उन्होंने खालिस देसी कम्पनियों को देश का कोयला लूटने का पूरा मौका दिया है… :P
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कपिल सिब्बल की "जीरो लॉस" वाली थ्योरी के समर्थक, एक और "बुद्धिमान" मंत्री सामने आए हैं श्रीप्रकाश जायसवाल… जनाब फ़रमाते है
ं कि "सरकार को कोयला खदानों में कोई राजस्व नुकसान नहीं हुआ है, क्योंकि जिन 57 कोल ब्लॉक "रेवड़ी" की तरह बाँटा गया था, उसमें से सिर्फ़ एक में ही उत्पादन शुरु हुआ है… यानी वे कहना चाहते हैं कि हमने तो लूटने के 57 ठिकाने दिए थे, लूट सिर्फ़ एक में ही हो पाई…
और हाँ… खबरदार!!! सरकार का जो रवैया पिछले 8 साल से है, वही आज भी है… जी हाँ, सही समझे आप, "तुमसे जो बन पड़े सो उखाड़ लो, हम तो लूटेंगे…"
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विद्वान् और इमानदार प्रधानमंत्री की सच्चाई आज सब के सामने आ ही गई....पहले बोला जा रहा था की ये CAG की फाइनल रिपोर्ट नहीं है...
सीएजी ने आज कोयला ब्लॉक आवंटन रिपोर्ट शुक्रवार को राज्यसभा में पेश कर दी गईं।कोयला ब्लॉक आवंटन मे 1.86 लाख करोड़ के घोटाले का आरोप है। सरकार ने 2004 से 2009 के बीच लगभग 100 कंपनियों को जिन में कई गुटखा बनाने वाली कम्पनी भी हैं, 155 कोयला खदानों का आवंटन किया गया। इससे सरकारी खजाने को लगभग 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। ये 1.76 लाख करोड़ के टेलीकॉम घोटाले से ज्यादा बड़ी रकम है 2004-06 के बीच 142 कोल ब्लॉक बांटे गए। इस दौरान कोयला मंत्रालय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास था...इन का क्या कर लेंगे हम सब सड़कों पे तिरंगा हाथ में ले के...???
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पिछले कुछ दशकों में देश में पकडे जाने वाले घोटालों की राशि को देखकर कोई भी नहीं कह सकता ये कि किसी गरीब देश में होने वाले घोटालों का धन है , तो अब ये बिल्कुल साफ़ हो चुका है कि देश में धन और संसाधन दोनों ही ,अंग्रेजों और बाहरी आक्रमणकारियों द्वारा लगातार नोचे खसोटे जाने के बावजूद अब भी इतना बचा हुआ तो जरूर है कि देश का एक एक इंसान , रोटी कपडा और मकान के हक को पूरे हक के साथ सरकार को सुनिश्चित कराने के लिए कह सके । और इसके बावजूद भी सरकार प्रशासन के पास . अब अवाम से कोई भी कर लिए जाने लायक , मुंह नहीं बचा है ..बांकी कुछ और दिखा के मांगना चाहें तो और बात है ..अरे महाराज......माने कि "हाथ " फ़ैला कर ।
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