स्वदेश चिन्तन
नरेन्द्र सहगल
बंगलादेशी घुसपैठिए असम को बना रहे हैं कश्मीर
जिन जिहादी ताकतों ने निरंतर हिन्दू विरोधी हिंसक अभियान चलाकर कश्मीर को हिन्दू- विहीन करके भारत से काटने के षड्यंत्र रचे हैं, वही तत्व अब असम को भी हिन्दू-विहीन करने की खूनी मुहिम चला रहे हैं। बलात् मतान्तरण, नरसंहार, आगजनी और पलायन का जो मंजर कश्मीर घाटी में चलाया गया वही असम में दोहराया जा रहा है। असम सहित पूरे देश में बंगलादेशी घुसपैठियों की तादाद चार करोड़ का आंकड़ा पार कर चुकी है। इन बंगलादेशी घुसपैठियों से न केवल जनसंख्या का अनुपात ही बिगड़ा है अपितु असम के कश्मीर बन जाने का खतरा भी पैदा हो गया है। जहां कश्मीर में दूसरे पाकिस्तान ने जन्म ले लिया है, वहीं असम में तीसरे पाकिस्तान की जमीन इन बंगलादेशी घुसपैठियों ने तैयार कर दी है।
असम में इस समय 38 विद्रोही गुट सक्रिय हैं। इनमें 13 गुटों पर स्थानीय और बंगलादेशी मुसलमानों का पूरा कब्जा है। मुस्लिम सिक्युरिटी काउंसिल, इस्लामिक लिबरेशन आर्मी, मुस्लिम वालंटियर फोर्स, इस्लामिक सेवक संघ, रेवोल्युशनरी मुस्लिम कमांडोज, मुस्लिम टाइगर फोर्स, यूनाइटेड रिफोरमेशन प्रोटेस्ट आफ इंडिया, हरकत उल मुजाहिद्दीन और हरकत उल जिहाद इत्यादि हथियारबंद संगठनों को पाकिस्तान और चीन से सहायता मिलती है। ये सभी संगठन बंगलादेशी मुसलमानों को सीमा पार से आने, छिपने, रहने, कारोबार करने, हिन्दुओं की जमीनों पर कब्जा करने, भारत की नागरिकता लेने और मताधिकार प्राप्त करने में मदद करते हैं।
असम के अनेक जिले मुस्लिम-बहुल हो गए हैं। यहां हिन्दुओं का जीना असंभव बन गया है। 126 विधानसभा क्षेत्रों में 56 पर बंगलादेशियों का वर्चस्व स्थापित हो गया है। पूर्वोत्तर भारत के दूरदराज के इलाकों तक इनकी बस्तियां बढ़ रही हैं। मेघालय, त्रिपुरा, मणिपुर और नागालैंड भी इनके शिकंजे में आने वाले हैं। राजधानी दिल्ली सहित भारत के प्राय: सभी बड़े शहरों तक इन विदेशी घुसपैठियों ने पांव पसार लिए हैं। इनका गैर कानूनी जमावड़ा, स्थानीय मुस्लिम संगठनों का सहयोग, सरकार की देशघातक राजनीति, सुरक्षा बलों को दिए जाने वाले आधे-अधूरे आदेश और हिन्दुओं की मजबूरी लाचारी ही वर्तमान त्रासदी का आधार है। बंगलादेशी मुसलमानों द्वारा किया गया यह वर्तमान शक्ति प्रदर्शन पूर्व नियोजित है। सौ से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। 500 गांवों के 5000 घर फूंक दिए गए हैं। लगभग 5 लाख लोग 200 शिविरों में पहुंच गए हैं।
सीआरपीएफ के इंटेलीजेंस सैल की रपट के अनुसार बंगलादेशियों की घुसपैठ ने असम का जनसांख्यिकी संतुलन बिगाड़ दिया है। इससे गैर-इस्लामिक धार्मिक समूहों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन असम को मुस्लिम राज्य बनाने के उद्देश्य से हिन्दुओं को पलायन कर जाने, इस्लाम कबूल करने अथवा परिणाम भुगतने की धमकियां देते हैं। इतना सब कुछ होते हुए भी सरकार खामोश है। सीमा पर घुसपैठ जारी है। पहले से आए घुसपैठियों की शिनाख्त नहीं हो रही। उन्हें वापस भेजने की कोई योजना नहीं है। सीमा को सील करने जैसा सशक्त कदम भी नहीं उठाया जा रहा
बुधवार, 22 अगस्त 2012
क्या असम कश्मीर की राह पर ?
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