एक और कश्मीर !!
1) सन 1905 में मुस्लिम लीग ने तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में असम को मिलाकर "बंग-ए-इस्लाम" राज्य की माँग की थी…
2) 1931 में ब्रिटिश जनगणना सुपरिन्टेण्डेण्ट ने अपनी रिपोर्ट में स्वीकार किया, कि पूर्वी पाकिस्तान से बड़ी संख्या में घुसपैठ कर रहे हैं…
3) 1946 में असम के दौरे पर जिन्ना ने बड़े ही विश्वासपूर्वक कहा था कि "असम जल्दी ही उनकी जेब में होगा…"
4) ज़ुल्फ़िकार भुट्टो ने अपनी पुस्तक (The Myth of Independence) में कहा है कि "सिर्फ़ कश्मीर ही हमारी आपसी समस्या नहीं है, बल्कि असम भी है…"
5) शेख मुजीबुर्रहमान ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि, "पूर्वी पाकिस्तान को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने के लिए असम को इसमें मिलाना बहुत जरूरी है…"
6) बीके नेहरू (असम के पूर्व राज्यपाल) ने अपनी पुस्तक "Nice Guys Finish Second" में कांग्रेस के तीन नेताओं देवकांत बरुआ, जिन्ना के सचिव मोईनुल हक और कैबिनेट मंत्री फ़खरुद्दीन अली अहमद (जो बाद में राष्ट्रपति भी बने) की असम और बांग्लादेश सम्बन्धी नीतियों की खासी आलोचना की है…
7) भारत की पश्चिमी कमान के जनरल जमील महमूद ने ज्योति बसु और हितेश्वर सैकिया को लिखित में चेता दिया था कि यदि समय रहते बांग्लादेशियों पर काबू नहीं पाया तो हमें अपनी सीमाएं दोबारा रेखांकित करनी पड़ेंगी…
8) इसके अलावा विभिन्न मौकों पर हितेश्वर सैकिया, ज्योति बसु, जनरल एसके सिन्हा, इंद्रजीत गुप्ता इत्यादि लोगों ने अपनी रिपोर्टों तथा विधानसभा-लोकसभा के बयानों में बांग्लादेशी मुसलमानों की विचारपूर्ण और षडयंत्रपूर्ण घुसपैठ का ज़िक्र किया है…
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इतने सारे लिखित तथ्य होने के बावजूद कांग्रेस-वामपंथी जैसी पार्टियाँ अपने वोटबैंक के लिए तथा वज़ाहत हबीबुल्ला और शबनम हाशमी जैसे कथित बुद्धिजीवी, बांग्लादेशी घुसपैठ और पाकिस्तान के रवैये को समस्या का मूल नहीं मानते हों तब तो इनसे बड़े देशद्रोही और शतुरमुर्गी कहीं और नहीं मिलने वाले…
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