मंगलवार, 14 अगस्त 2012

आज़ादी का सच

आजादी लेने के स्थान पर सत्ता-हस्तांतरण करवाना, माउण्टबेटन को आजाद भारत का गवर्नर जनरल बनाना, राष्ट्रमण्डल का सदस्य बने रहना, संविधान का 1935 के अधिनियम पर आधारित होना, ब्रिटिश राजा-रानी की तरह भारतीय राष्ट्रपति के पद को आडम्बरयुक्त बनाना, बहुसंख्य जनता का अशिक्षित-कुपोषित बने रहना, दलों में वंशवाद का हावी होना... जैसी बातें अपनी जगह सही हैं...
फिर भी, हमें “विचारों की अभिव्यक्ति की आजादी” तो कम-से-कम मिली ही हुई है...
अतः- स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनायें...
हालाँकि इस आजादी पर भी कैंची चलनी शुरु हो गयी है. गूगल की अर्द्धवार्षिक पारदर्शिता रिपोर्ट के अनुसार जनवरी-जून 2010 के दौरान जहाँ भारत सरकार ने सामग्री हटाने के मात्र 30 आवेदन दिये थे, वहीं जनवरी-जून 2011 के दौरान 68 आवेदन दिये. दिल थामिये, ताजा रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई-दिसम्बर 2011 के दौरान भारत सरकार ने 101 आवेदन देकर 255 सामग्रियों को हटाने का अनुरोध किया है! 133 यूट्यूब विडियो पर पाबन्दी लगाने की माँग की गयी है; 26 वेब सर्च, 49 ब्लॉग पोस्ट को सेन्सर करने की माँग की गयी है. इनमें से कॉपीराईट का मामला 2 था, पोर्नोग्राफी का सिर्फ 1. बाकी सारे मामले “राजनैतिक टीका-टिप्पणियों” से जुड़े थे!
ध्यान रहे, जुलाई-दिसम्बर 2011 के दौरान भारत ने 2,207 उपयोगकर्ताओं की जानकारियाँ माँगी है, जिसमें से 66 फीसदी का गूगल ने अनुपालन किया है.
फेसबुक के मामले ऐसे आँकड़े अब तक तो अखबार में नहीं दीखे.
जो भी हो-
जयदीप शेखर603425_457464974285481_371495234_n

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